Saturday, May 18, 2019

कांग्रेस ने आयोग को बताया मोदी का पिट्ठू

लोकसभा चुनाव के खत्म होते-होते चुनाव आयोग में भी मतभेद खुलकर सामने आने लगे हैं. आयोग के आचार संहिता तोड़ने संबंधी कई फैसलों पर असहमति जताने वाले चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा को पत्र लिखकर मांग की है कि आयोग के फैसलों में आयुक्तों के बीच मतभेद को भी आधिकारिक रिकॉर्ड पर शामिल किया जाए.
                            अशोक लवासा देश के अगले मुख्य चुनाव आयुक्त बनने की कतार में हैं और सूत्रों के मुताबिक लवासा आचार संहिता उल्लंघन की शिकायतों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को सीधे-सीधे लगातार क्लीन चिट और विरोधी दलों के नेताओं को नोटिस थमाए जाने के खिलाफ रहे हैं.

21 मई को चुनाव आयोग की बैठक


चुनाव आयोग में शीर्ष अधिकारियों के बीच जारी विवाद पर के बीच अब 21 मई को आयोग की अहम बैठक होने वाली है. इस बैठक पर अब सभी की नजर है कि इसमें चुनाव आयुक्त अशोक लवासा शामिल होते हैं या नहीं. चुनाव आयोग ने दावा किया है कि ये सब उसका 'आंतरिक मामला' है. लेकिन आयोग का 'आंतरिक मामला' मीडिया में आने के बाद चुनाव आयुक्त लवासा का बैठक में आना या गैरहाजिर रहना दोनों ही सुर्खियों में तो रहेगा ही.

इससे पहले सूत्रों के मुताबिक चुनाव आयोग की बैठक में अपने अलग मत की वजह से सुर्खियों में रहे अशोक लवासा ने मुख्य चुनाव आयुक्त को लिखी चिट्ठी में कहा है कि 3 सदस्यीय आयोग में एक सदस्य का भी विचार भिन्न हो तो उसे आदेश में बाकायदा लिखा जाए. लवासा चुनाव आयोग में सुप्रीम कोर्ट जैसी व्यवस्था चाहते हैं. जिस तरह से कोर्ट की खंडपीठ या विशेष पीठ में किसी केस की सुनवाई के बाद फैसला सुनाते वक्त अगर किसी जज का फैसला सहमति से लिए गए फैसले के उलट रहता है तो भी उसका फैसला रिकॉर्ड किया जाता है.

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